उत्तर प्रदेश: रैंक 15, स्कोर 30/100?
विपिन कुमार चौधरी
केयरएज राज्य रैंकिंग रिपोर्ट 2023:
17 बड़े राज्यों में महाराष्ट्र शीर्ष पर व छोटे राज्यों में गोआ अव्वल, शोध कम्पनी ने 7 मापदंडों के 46 संकेतकों में राज्यों के प्रदर्शन पर किया शोध
उत्तर प्रदेश का समग्र स्कोर अभी भी 100 में से महज 30 है और इसीलिए 17 बड़े राज्यों में यूपी 15वें पायदान पर है? जबकि 55.7 स्कोर के साथ महाराष्ट्र शीर्ष पर है। वहीं 11 छोटे राज्यों में 62.8 स्कोर पाकर गोआ अव्वल है। बुनियादी ढांचा, राजकोषीय प्रबंधन, वित्तीय समावेशन, सामाजिक, राजकाज, पर्यावरण और आर्थिक मापदंडों के 46 संकेतकों में राज्यों के प्रदर्शन के हिसाब से ये रैंक व स्कोर सामने आए हैं। भारत की प्रमुख क्रेडिट रेटिंग कम्पनी केयर रेटिंग लिमिटिड की अनुसंधान शाखा केयरएज ने डेढ़ दर्जन विभागों व मंत्रालयों से आंकड़े जुटाकर यह मूल्यांकन किया और राज्य रैंकिंग रिपोर्ट 2023 का पहला संस्करण जारी किया है। इसमें कुल 28 राज्य शामिल हैं। श्रेणी ए में 17 बड़े राज्य और श्रेणी बी में उत्तर-पूर्वी, पहाड़ी व छोटे 11 राज्य हैं। राज्यों का ये तुलनात्मक मूल्यांकन 7 मापदंडों में अलग-अलग भी किया है। पेश है विस्तृत रिपोर्ट..
अर्थव्यवस्था: गुजरात टॉपर, सबसे पीछे यूपी
अर्थव्यवस्था के मूल्यांकन में राज्य घरेलू उत्पाद, उद्योग, मुद्रा स्फीति, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, उद्यमी सेवाएं, सकल पूंजी क्षेत्रों में राज्यों की स्थिति को आधार बनाया गया है। इनमें गुजरात 17 बड़े राज्यों में सबसे आगे है और यूपी सबसे पीछे है। आर्थिक मापदंड में राज्य का स्कोर व रैंकिंग क्रमशः गुजरात (63.2), कर्नाटक (60.3), महाराष्ट्र (49.3), हरियाणा (46.8), ओडिशा (41.6), तमिलनाडू (39.6), तेलंगाना (39.2), केरल (38.8), झारखंड (33.3), आंध्र प्रदेश (32.6), पंजाब (31.2), छत्तीसगढ़ (31.1), बिहार (27.5), पश्चिम बंगाल (27.3), राजस्थान (25.9), मध्य प्रदेश (22.7) और उत्तर प्रदेश (20.4) है। लेकिन यदि इन्वेस्टर सबमिट जैसी योजनाएं धरातल पर उतरें तो यूपी के हालात जरूर बदलेंगे। दूसरी ओर छोटे राज्यों में सबसे आगे सिक्किम (62.9), गोआ (62.8), अरुणाचल प्रदेश (42.7), हिमाचल प्रदेश (36.1), उत्तराखंड (30.9), त्रिपुरा (29.8), मणिपुर (28), मेघालय (27.9), नागालैंड (24.9), मिजोरम (24.7) और सबसे पीछे असम (23.4) है।
राजकोष प्रबंधन: उड़ीसा अव्वल, गुजरात बेहतर
राजकोष प्रबंधन में उड़ीसा बड़े राज्यों में मजबूत है। तीसरे नम्बर पर गुजरात है। इस मामले में यूपी 13वें पायदान पर है। राजकोषीय प्रबंधन में शोध टीम ने सरकारी कर्ज के सापेक्ष आर्थिक उत्पादन, सरकारी व्यय की तुलना में कम आय (राजकोषीय घाटा), राजस्व घाटा, शिक्षा व्यय, स्वास्थ्य व्यय, सर्वोच्च कुल व्यय, सामान्य वित्तीय नियमों का प्रबंधन, कर्ज या बांड भुगतान वाले फंड को मजबूत रखने सम्बन्धी आंकड़ों की गणना की है। इस गणना में सबसे आगे उड़ीसा (66.6), फिर महाराष्ट्र (65.8), गुजरात (65.3), कर्नाटक व हरियाणा (54.7), मध्य प्रदेश (52.9), तेलंगाना (52.2), छत्तीसगढ़ (49.1), पश्चिम बंगाल (42.9), झारखंड व तमिलनाडू (42.4), आंध्र प्रदेश (41.5), उत्तर प्रदेश (40.7), केरल (33.9), राजस्थान (27.1), बिहार (25.8) और सबसे पीछे पंजाब (19.4) है। वहीं छोटे राज्यों में सबसे मजबूत गोआ (61.4), फिर उत्तराखंड (56.5), मणिपुर (55.3), असम (52.3), अरुणाचल प्रदेश (50.7), सिक्किम (48.9), मिजोरम (45.4), मेघालय (42.8), त्रिपुरा (38.2), नगालैंड (34.8) और सबसे कमजोर हिमाचल प्रदेश (33.8) है।
वित्तीय समावेशन: महाराष्ट्र आगे, यूपी-बिहार सबसे पीछे
समाज के पिछड़े एवं कम आय वाले लोगों को वित्तीय सेवाएँ प्रदान करना ही वित्तीय समावेशन कहलाता है, लेकिन शर्त है कि यह सेवाएं लोगों को वहन करने योग्य मूल्य पर मिलनी चाहिए। टीम ने राज्य घरेलू उत्पाद में ऋण, बैंक शाखाओं की गणना, जीडीपी में गैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनीज प्रतिबंध, म्युचुअल फंड, जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा, जनधन बैंक खातों के बैलेंस और प्रति खाताधारक पर औसतन कर्ज के आधार पर गणना की है। सबसे अच्छा प्रदर्शन महाराष्ट्र (72.3) का है। फिर तेलंगाना (49.3), तमिलनाडू (48.2), कर्नाटक (46.3), हरियाणा (42.6), केरल (41.8), आंध्र प्रदेश (39.9), राजस्थान (39.6), गुजरात (39.4), पंजाब (35.9), उड़ीसा (30.5), पश्चिम बंगाल (28.3), छत्तीसगढ़ (27.3), झारखंड (23.5), मध्य प्रदेश (22.3) और सबसे खराब प्रदर्शन उत्तर प्रदेश (21.5) और बिहार (16.8) का है। वहीं छोटे राज्यों में सबसे आगे गोआ (61.9), हिमाचल प्रदेश (33.2), उत्तराखंड (29.7), मेघालय (24), मिजोरम (23.1), सिक्किम (22.2), त्रिपुरा (21.3), असम (17.2), अरुणाचल प्रदेश (16.3) और नागालैंड (10.4) व मणिपुर (8.1) बेहद पीछे हैं।
सबसे ज्यादा सोशल है केरल, बिहार सबसे कम
केरल इतना सोशल है कि बड़े राज्यों में कोई उसका साहनी नहीं है। बिहार सबसे कम है। यूपी 15वें पायदान पर है। शोध में सकल नामांकन अनुपात, साक्षरता दर, गरीबी अनुपात, गिनी गुणांक (आय में अंतर), शिशु मृत्यु दर और जीवन प्रत्याशा को देखा गया। इनमें राज्यों के प्रदर्शन में सबसे आगे केरल (96.4), तमिलनाडू (78.6), पंजाब (75), हरियाणा (64.4), महाराष्ट्र (63.9), तेलंगाना (59.8), आंध्र प्रदेश (53), राजस्थान (50.2), कर्नाटक (49), पश्चिम बंगाल (46.3), गुजरात (45.5), उड़ीसा (28.2), छत्तीसगढ़ (24.4), मध्य प्रदेश (23.4), उत्तर प्रदेश (20.1) और झारखंड (18.9) व बिहार (15.8) सबसे पीछे है। वहीं छोटे राज्यों में सबसे आगे गोआ (88.7), हिमाचल प्रदेश (80.5), सिक्किम (74.3), मिजोरम (68), उत्तराखंड (58.7), मणिपुर (51.1), त्रिपुरा (45.2), नागालैंड (44.9), मेघालय (42.2), अरुणाचल प्रदेश (40.6) और असम (24) सबसे पीछे है।
आधारभूत ढांचे में पंजाब मजबूत, झारखंड कमजोर
पंजाब प्रति व्यक्ति बिजली की उपलब्धता, रेलवे घनत्व और सिंचित क्षेत्र में धनी है। इसीलिए बड़े राज्यों की तुलना में उसका आधारभूत ढांचा सबसे मजबूत है। शोध में जनसंख्या, कुल एयरपोर्ट, सड़कों का घनत्व, जनसंख्या के सापेक्ष सरकारी अस्पतालों में बेड व स्कूल की उपलब्धता भी देखी गयी हैं। इसमें यूपी 11वें नम्बर पर है और झारखंड 17वें व सबसे कमजोर है। राज्यों का स्कोर क्रमशः पंजाब (62.6), हरियाणा (48.1), गुजरात (46.9), तमिलनाडू (45), केरल (44.8), तेलंगाना (41), आंध्र प्रदेश (40.9), पश्चिम बंगाल (39), महाराष्ट्र (37.5), कर्नाटक (37.4), उत्तर प्रदेश (35.3), राजस्थान (35.2), मध्य प्रदेश (34.2), छत्तीसगढ़ (31.5), उड़ीसा (28.2), बिहार (23.3) व झारखंड (19.9) है। वहीं छोटे राज्यों में गोआ (68.4) मजबूत है। फिर सिक्किम (46.8), हिमाचल प्रदेश (44.8), असम (39.6), उत्तराखंड (39.1), त्रिपुरा (38.5), मेघालय (37.4), मिजोरम (30.1), अरुणाचल प्रदेश (28.4), नागालैंड (28) और सबसे कमजोर मणिपुर (24.7) है।
राजकाज में आंध्र प्रदेश अव्वल, यूपी बेहतर
राजकाज में व्यापार की सुगमता को महत्व दिया गया है। पुलिस की मजबूती, अदालतों में सजा की दर और ई-गवर्नेंस सेवा का भी मूल्यांकन हुआ है। इसमें आंध्र बड़े राज्यों में अव्वल है। इसमें यूपी की स्थिति भी बेहतर है, उत्तर प्रदेश की गवर्नेंस को टॉप 3 रैंक मिली है। हालांकि यह रैंक गैंगस्टर से नेता बने अतीक-अशरफ भाइयों की पुलिस अभिरक्षा में हत्या से पहले जारी की गई थी। गवर्नेंस में राज्यों का स्कोर क्रम आंध्र प्रदेश (67), तेलंगाना (67.9), उत्तर प्रदेश (64.9), राजस्थान (59.4), मध्य प्रदेश (57.6), तमिलनाडू (56.8), झारखंड (52.6), पंजाब (49.4), छत्तीसगढ़ (45.7), महाराष्ट्र (43.4), गुजरात (42.3), हरियाणा (40.7), पश्चिम बंगाल (38.6), कर्नाटक (37.7), केरल (31) और सबसे कमजोर गवर्नेंस बिहार (13.7) और उड़ीसा (11.5) में है। उधर, छोटे राज्यों में सबसे बेहतर उत्तराखंड (46.2) है। फिर हिमाचल प्रदेश (45), नागालैंड (37.7), मिजोरम (36.9), मेघालय (28.3), गोआ (26.8), मणिपुर (25.2), त्रिपुरा (23.1), असम (22.5) और सबसे खस्ता गवर्नेंस अरुणाचल प्रदेश (17.4) व सिक्किम (15.6) में है।
पर्यावरण में आंध्र प्रदेश टॉपर, यूपी फिसड्डी
हिमाचल प्रदेश छोटा राज्य बेशक है लेकिन वन क्षेत्रों में सर्वाधिक वृद्धि कुदरत का तोहफा है। इस राज्य की मल प्रबंधन व नवीकरणीय स्थापित क्षमता भी सराहनीय हैं। पर्यावरण के मूल्यांकन में शोध टीम ने हवा की गुणवत्ता, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और पीने योग्य पानी तक पँहुच जैसे संकेतक भी शामिल किए हैं। बड़े राज्यों में आंध्र प्रदेश की स्थिति सबसे अच्छी है, लेकिन उत्तर प्रदेश का स्कोर बहुत अच्छा नहीं है। स्कोर क्रमशः आंध्र प्रदेश (64.6), कर्नाटक (64.2), तेलंगाना (60.1), केरल (56), महाराष्ट्र (55.5), तमिलनाडू (53.6), गुजरात (53.5), हरियाणा (51), मध्य प्रदेश (50.2), पंजाब (48.9), उड़ीसा (41.7), छत्तीसगढ़ (41.4), राजस्थान (36.2), बिहार (27.4) और सबसे कम स्कोर उत्तर प्रदेश (24.7), झारखंड (24.5) और पश्चिम बंगाल (24.3) का है। दूसरी ओर छोटे राज्यों में अव्वल हिमाचल प्रदेश (75.7), के अलावा सिक्किम (63.7), गोआ (54.6), मिजोरम (52.1), उत्तराखंड (48.9), मेघालय (44.1), अरुणाचल प्रदेश (42), असम (34.6), नागालैंड (34.2) और सबसे कम स्कोर पर त्रिपुरा (32.5) व मणिपुर (32) हैं।
कई देशों में फैली है ‘केयरएज’
भारत की प्रमुख क्रेडिट रेटिंग कम्पनी केयर रेटिंग लिमिटिड की अनुसंधान शाखा केयरएज ने 11 जनवरी को यह रैंकिंग रिपोर्ट जारी की है। कम्पनी कई देशों में काम कर रही है। अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ‘एआरसी रेटिंग’ कई देशों में केयरएज की पार्टनर है। जापान क्रेडिट रेटिंग एजेंसी व रूसी रेटिंग एजेंसी के साथ भी इसका गठबंधन है। मॉरीशस में इसकी 2 सहायक कम्पनियां भी हैं। कम्पनी भारत में अप्रैल 1993 से स्थापित है और इन तीन दशकों में 87450 से अधिक रेटिंग असाइनमेंट पूरे हो चुके हैं।
सरकार की नजर में है रिपोर्ट!
उक्त राज्य रैंकिंग रिपोर्ट सरकार की नजर में है! सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट पर विधानसभा में भी जिक्र हुआ है। इस तस्दीक व सरकार का पक्ष समझने के लिए हमने डिप्टी सीएम व सम्बंधित कैबिनेट मंत्री से बात करने की कोशिश की। लेकिन दोनों से उनका पक्ष नहीं मिल सका।