जंतर मंतर पर खींचतान, चीख पुकार, धरना स्थल कराया खाली, पहलवान नामजद
करन चौधरी
देर शाम आईपीसी 147, 149, 186, 188, 332, 353 व लोक सम्पत्ति नुकसान निवारण अधिनियम की धारा 3 में पहलवानों व उनके सहयोगियों को पुलिस ने किया नामजद
नई संसद पर महिला सम्मान महापंचायत के इरादे पुलिस ने नेस्तनाबूत कर दिए। 28 मई की तड़के ही दिल्ली पुलिस ने आरएएफ व सीआरपीएफ के साथ जंतर मंतर पर धरना स्थल सील कर दिया था। जैसे ही पहलवानों की तरफ से बैरिकेटिंग पार हुई, पुलिस ने फिर कुछ नहीं देखा। पहले तिरंगा छुड़ाने की कोशिश की, फिर पहलवानों को हिरासत में लेने की। पहलवान जमीन पर बैठ गए। जबरदस्त खींचतान व चीख पुकार से जंतर मंतर गूंज गया। जोर जबरदस्ती के बीच एक दूसरे को बचाने में पहलवान सड़क पर बिछ गए। भारी संख्या में सरकारी अमले के सामने पहलवानों की एक न चली। पुलिस ने पहलवानों को उठाकर बस में लाद दिया, बताया गया कि धारा 144 के उल्लंघन पर उन्हें हिरासत में लिया गया है। इसके बाद पुलिस ने धरना स्थल से उनके टैंट-तंबू, गद्दे आदि भी हटा दिए। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, देर शाम पुलिस ने पहलवानों व उनके सहयोगियों को आईपीसी 147, 149, 186, 188, 332, 353 व लोक सम्पत्ति नुकसान निवारण अधिनियम की धारा 3 में नामजद कर लिया है।
जंतर मंतर से ज्यादा मुस्तैदी गाजीपुर व दिल्ली के दूसरे बोर्डरों पर रही। राकेश टिकैत व बड़े किसान नेताओं को रोकने के लिए गाजीपुर बॉर्डर पर विशेष इंतजाम थे। उन्हें वहीं रोक दिया गया है। हालांकि राकेश टिकैत ने कई बार पुलिस को चेतावनी दीं। यहां तैनात डीसीपी अमृता गुगुलोथ ने कहा कि “इस तरह के मामलों से निपटने की पूरी तैयारी है, अतिरिक्त सुरक्षा बल भी है।” राजस्थान, पंजाब, गुड़गांव की तरफ से आने वालों की रोकथाम के लिए सिंघू व टीकरी बॉर्डर पर तो बड़े पत्थर अड़ाकर सील किया गया। दिल्ली के बोर्डरों के अतिरिक्त हरियाणा में अंबाला के मंजी गुरुद्वारा साहिब पर पुलिस ने महिलाओं के जत्थे को रोका। विरोध में नारेबाजी भी हुई। अंबाला में कई और बड़े जत्थों को वहीं रोक लिया गया। इसी तरह झज्जर में भारी पुलिस बल तैनात है। हरियाणा के भिवानी रेलवे स्टेशन पर भी बसों से आ रहे जत्थों को हिरासत में रखा गया है। दिल्ली से सटे पंजाब, हरियाणा, यूपी व अन्य राज्यों में इसी तरह की सतर्कता है। पंजाब, हरियाणा के कई जत्थे तो 27 मई की रात ही गुरुद्वारों में जमा हो गए थे, उन्हें भी वहीं रोक दिया गया। हालांकि पुलिस भी 27 मई की शाम से ही सक्रिय रही। व्यवस्थाएं ऐसी थीं कि भीड़ जुटाने की क्षमता वाले लोग घरों से न निकल पाएं। सर्वखाप महिला पंचायत की प्रधान डॉ सन्तोष दहिया को पुलिस ने घर से निकलने ही नहीं दिया। 28 मई की सुबह तक मुस्तैदी बढ़ा दी गयी। फिर भी किसानों का बड़ा हुजूम दिल्ली बॉर्डर तक पहुंच गया। हालांकि पुलिस इस इंतजाम से डटी है कि किसान बॉर्डर पार करना तो दूर, बोर्डरों पर जमे भी न रह पाएं। दिल्ली लॉ एंड ऑर्डर के स्पेशल सीपी देवेंद्र पाठक ने कहा “हमारे पास अपील और रोकने, दोनों इंतजाम हैं।”
पूरे दिन ट्विटर पर लोकतंत्र बना मुद्दा
नई संसद में लोकतंत्र पर पीएम के भाषण और जंतर मंतर पर इस घटनाक्रम में लोकतंत्र केंद्र में रहा। दोनों वीडियो साथ जोड़कर लोगों ने दिनभर ट्विटर पर ट्रेंड किये। दोनों वीडियो साथ देखकर पहलवानों के हक में समर्थन जुटने लगा। इसी तरह पीएम के हाथ में राजदंड और सड़क पर गिरी पुलिस से संघर्ष करती विनेश व संगीता के हाथ में तिरंगा वाले फ़ोटो भी इसी तरह जोड़कर ट्रेंड किये गए। तब प्रतिक्रिया में विनेश व संगीता के पुलिस हिरासत में हंसते हुए फ़ोटो वायरल किये जाने लगे। हालांकि पहलवानों ने असली फ़ोटो सामने लाकर फेक फ़ोटो शेयर करने वाले शख्श पर मुकदमे की बात कही है।
सरकार कैसा बर्ताव कर रही, देख रही दुनिया: साक्षी
पहलवानों पर मुकदमे वाली एएनआई की पोस्ट पर ट्वीट करते हुए साक्षी ने देर रात कहा कि शांतिपूर्ण आंदोलन करने वाले पहलवानों पर घण्टों में मुकदमा कर दिया। खिलाड़ियों से सरकार का बर्ताव सारी दुनिया देख रही है। इससे पूर्व उन्होंने अन्य ट्वीट में कहा कि आंदोलन खत्म नहीं हुआ है। पुलिस हिरासत से छूटकर जंतर मंतर वापस सत्याग्रह करेंगे। इस देश में अब तानाशाही नहीं, बल्कि महिला पहलवानों का सत्याग्रह चलेगा। उधर, हिरासत में लिए जाते वक्त उन्होंने कहा था कि हम शांति से जा रहे थे। हमें भगा दिया, गिरा लिया, मेरे कपड़े फाड़ लिए। बहुत गंदा व्यवहार किया है। जिनका काम दोषी को गिरफ्तार करने का होना चाहिए, वो हमारे ऊपर अपनी ताकत दिखा रहे हैं। हिरासत में विनेश ने कहा हमें न्याय मांगने की सजा मिल रही है। आरोपी आजाद घूम रहा है, उसे सरकार पनाह दे रही है। देश के लिए पदक जीतने वाले हम खिलाड़ियों को बेटियों के लिए न्याय मांगने पर हमें अब जेल में डाला जा रहा है।
एक्शन से पहले समझौते की पेशकश
विनेश के बयान से जाहिर है कि महिला सम्मान महापंचायत को रोकने के लिए पहले समझौते की पेशकश की गई थी। विनेश ने 27 मई की रात कहा था कि “समझौते की बात अफवाह है। हमारी सरकार से बात जरूर चल रही थी और हम पर समझौते का दवाब बनाया जा रहा था। लेकिन हमारी एक ही मांग थी कि बृजभूषण की गिरफ्तारी होनी चाहिए। हम उसी पर अडिग हैं। हम कोई समझौता नहीं करेंगे। और आप सभी से अनुरोध है कि पंचायत में ज्यादा से ज्यादा संख्या में पहुंचें।”
वे बच्चे जेल में बंद हैं, आप हमको भी जेल ले चलो। हम भी गिरफ्तारी देंगे। हमारे और भी लोग अलग-अलग जगहों पर जेल में बंद कर लिए हैं। सबसे हमारी सलाह नहीं हो पाई थी। 30 को हरियाणा में पंचायत में उसमें सब सलाह करके आगे का निर्णय लेंगे।
राकेश टिकैत, किसान नेता
(गाजियाबाद बॉर्डर पर किसानों के साथ डटे हैं।)