पहलवानों की मांगों पर सरकार बातचीत के लिए तैयार, गृह मंत्री से बैठक जल्द!
राष्ट्रपति के समक्ष बात रखना चाहेंगे तो उसका भी मिला भरोसा
पहलवानों की मांगों पर सरकार बातचीत के लिए तैयार हो गयी है। अब गृह मंत्री और खाप पंचायत पैनल के बीच जल्द ही बैठक सम्भव है। मुजफ्फरनगर स्थित सोरम में सर्वजातीय सर्वखाप महापंचायत के बाद खुद राकेश टिकैत ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि सरकार से इस बाबत प्रस्ताव उन्हें गंगा घाट से पहलवानों की वापसी के बाद मिला है। महापंचायत से लौटे खाप चौधरी 2 जून को ये तय करेंगे कि सरकार से पहलवानों का पक्ष रखने वाले पैनल में कौन लोग होंगे। पैनल तय होने के बाद बैठक का दिन व समय तय होगा। जो भी होगा 5 दिन वाले अल्टीमेटम के अंदर ही होगा।
राकेश टिकैत ने कहा कि “जो आज देश में कानून है, पोक्सो एक्ट की धाराएं लगीं, 25-30 दिन हो गए, उसकी गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई? इससे पहले भी कितनों पर ये धाराएं लगीं, उनकी गिरफ्तारी पहले हुई या जांच? इनको न्याय कब मिलेगा? वहां धरने पर जो हुआ, उनपर मुकदमे हुए। बैठक में यही सारी बातें होंगी। बातचीत और आंदोलन, दोनों रास्ते खुले हैं हमारे।” उन्होंने कहा कोई कुछ भी कह सकता है, प्रमाणिक बयान तो सरकार दे। इस बैठक में सरकार का रुख भी समझेंगे खाप मुखिया। गौर हो कि 30 मई की शाम सरकार के रवैये से हताश व निराश पहलवान हरिद्वार स्थित हर की पौड़ी में अपने मैडल बहाने पहुंच गए थे। लेकिन टिकैत परिवार व जनसमूह की अपील पर उन्होंने मैडल नहीं बहाए। नरेश टिकैत उन्हें मनाकर अपने साथ वापस ले गए थे। ये सब हर की पौड़ी पर समर्थकों के हुजूम के बीच हुआ था। टिकैत बंधुओं ने पहलवानों से 5 दिन इंतजार को कहा था और इधर सरकार को 5 दिन का अल्टीमेटम दिया था। उसी दिन यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग ने भी बयान जारी कर पहलवानों को हिरासत में लेकर धरना स्थल खाली कराने आदि पूरे घटनाक्रम की कड़ी निंदा की थी। ये तक कहा था कि वह पहलवानों के साथ बैठक कर उन्हें न्याय दिलाने में उनका समर्थन देगा।
ये खाप हैं, हारकर नहीं आती हैं
संवाद से हल न निकलने की स्थिति के सवाल पर टिकैत ने कहा कि ये पहलवान हैं, हारकर नहीं लौटेंगे। आगे बोले खापों का इतिहास ही नहीं है हारने का। 100 साल अंग्रेजों ने बैन रखा तब नहीं हारी। खाप पंचायत हैं, हारकर नहीं आती हैं।
विपक्ष अपनी भूमिका नहीं निभा रहा
उन्होंने कहा ये विपक्ष की जिम्मेदारी होती थी कि पीड़ित को न्याय दिलाने को सड़क पर उतरकर आंदोलन करते थे। अब सबको डर है। आकर भाषण दे जाने से उनकी भूमिका पूरी नहीं होती। बोले, विपक्ष में रहने का मतलब है लाठी खाओ, आंसू गैस के गोले खाओ और जेल खाओ। एसी में बैठने का काम विपक्ष का नहीं है। देश में कमजोर विपक्ष तानाशाहों को जन्म देता है।